Monday, July 11, 2011

टेक्सप्लानिंग करे इनकमटेक्स सेक्शन 44 AD के साथ !

 इन्कमटेक्स एक्ट में एस्समेंट इयर 2011-12 से  सेक्शन 44AD में परिवर्तन  किया गया है.  इस सेक्शन ने कई समय तक व्यापारियों तथा आयकर विशेषघयो को भ्रमित करके रखा, लेकिन समय के साथ-साथ इसके अधिकत्तर भ्रम समाप्त होते गए. पिछले वितीय वर्ष में इनकमटेक्स  एक्ट में एक और महत्वपूर्ण परिवर्तन किया गया था जिसके तहत औडिट करवाने की सीमा को 40 लाख रु से बढाकर 60 लाख रु कर दिया गया था.  सेक्शन 44 AD को इस परिवर्तन के साथ में जोड़कर देखने पर यह सेक्शन एक दुधारी तलवार की तरह लगती है जिसका की सही प्लानिंग के साथ उपयोग नहीं किया जाये तो नुकसान भी हो सकता है. परन्तु यदि पूरी प्लानिंग के साथ उपयोग किया जाये तो यह सेक्शन टेक्स प्लानिंग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन सकती है. आइये इस सेक्शन से जुडी महत्वपूर्ण बातो को जाने.:
  यह सेक्शन केवल व्यक्ति, HUF, तथा पार्टनरशिप फर्म (LLP को छोड़ कर) को लागु होती है. यह सेक्शन पेशेवर लोगो तथा सेक्शन 44AE के अंतर्गत आने वाले व्यापार को छोड़ कर सभी तरह के व्यापारों पर लागु होती है.
            सेक्शन 44 AD के अनुसार यदि पिछले वितीय वर्ष में  आपके व्यापार का टर्नओवर या कुल रिसिप्ट 60 लाख रु या उस से कम है तो आप इस सेक्शन का चुनाव कर सकते है. यदि आप इस सेक्शन का चुनाव करते है तो, आपको अपने व्यापर के कुल टर्नओवर या कुल रिसिप्ट का 8 % शुद्ध लाभ दिखाना होगा. दुसरे शब्दों में वह 8 % की राशी आपकी अनुमानित इन्कम मान ली जाएगी, भले ही उस व्यापर से आप की वास्तविक इन्कम 8 % से अधिक ही क्यों नहीं हो. यदि करदाता चाहे तो वह 8 % से अधिक आय भी घोषित कर सकता है. यदि करदाता इस सेक्शन का चुनाव करता है तो वह एडवांस टेक्स भरने के झंझंट से निज़ात पा सकता है तथा साथ ही साथ एकाउंट्स लिखने एवं  औडिट करवाने के खर्चे से भी मुक्ति पा सकता है.
      पार्टनरशिप फर्मो के लिये ये सेक्शन एक संजीवनी बूटी के सामान है, क्योकि पार्टनरशिप फर्मो को इस सेक्शन में विशेष टेक्स प्लानिंग का लाभ प्राप्त होता है. लाभ इस प्रकार है की 8 % शुद्ध लाभ दिखने के बाद भी पार्टनर को दी जाने वाली सेलेरी तथा पूंजी पर ब्याज (सेक्शन 40 (b) के अंतर्गत आने वाली राशी) को उस शुद्ध लाभ में से घटाने का अवसर मिलेगा. 
अगर आपकी आय 8 % से कम है तथा वही आप अपने इनकमटेक्स रिटर्न में दिखाना चाहते है और आपकी कुल आय कर योग्य है, तो आपको अपने व्यापर के एकाउंट्स भी लिखने पड़ेंगे एवं उनकी औडिट भी करवानी पड़ेगी.
        मित्रो सोच समझ कर इस सेक्शन का उपयोग करे एवं अधिक से अधिक लाभ उठाये..

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