Thursday, November 24, 2011

समय रहते संभाले बढ़ते युवा आक्रोश को...!


         पहले नेताओ का विरोध काले झंडे दिखा कर किया जाता था, परन्तु इराक के एक पत्रकार ने भरी प्रेस कोंफ्रेंस में अमेरिका के राष्ट्रपति जार्ज बुश पर जूता फेक कर विरोध करने का एक नया रास्ता ही खोल दिया. भारत में उसके बाद तो मानो विरोध करने के इस तरीके का सिलसिला ही चल पड़ा.  अभी तक तो आये दिन किसी न किसी नेता की सभा में जूता ही फेका जाता था परन्तु वर्तमान में विरोध का एक हिंसक तरीका भी सामने आया है जिसमें झंडे दिखाना, जूते फेकना आदि विरोध प्रकट करने के तरीको को कोसो पीछे छोड़ नेताओ को सीधा चांटा मारना ही चालू कर दिया है कुछ समय पहले पूर्व मंत्री सुखराम और आज कृषि मंत्री श्री शरद पंवार को मरा गया चांटा इस का उदाहरण है.
         विशव की सबसे युवा जनसंख्या भारत में रहती है और आज यही युवाशक्ति उद्ग्वेलित और आक्रोशित हो चुकी है, नेताओं ने इन युवाओ  की नब्ज टटोलने की जरुरत तक नहीं समझी, उन्हें लगता है आज का युवा जो हमेशा फेसबुक और ट्विटर पर व्यस्त रहने वाला है उसे देश की नीतियों के बारे में क्या समझ है इसलिए उसे तवज्जो देने की जरुरत नहीं है. परन्तु यहाँ वे बहुत बड़ी भूल कर रहे है, आज का युवा उनकी पीढ़ी से कई गुना ज्यादा इमानदार और देशभक्त है, वह मासूम है परन्तु नासमझ  नहीं है और सबसे अच्छी बात ये है कि वह सही और गलत का फर्क जल्दी ही महसूस कर सकता है.  मुझे ये देख कर ख़ुशी होती है की हमारा युवा  जागरूक है वह इन सोशियल साइटों के माध्यम से हर उस घटना पर प्रतिक्रिया देता है जो  देश में घटित होती है खास कर उन घटनाओ पर जिसमें उसके देश का हित हो. नेताओ को इन सोशियल  साइटों पर उनके बारे में लिखी  प्रतिक्रियो या फोटो दिखाए तो उन्हें समज आएगा  पढ़े लिखे युवा वर्ग के बीच उनकी क्या छवि है.

         यह बहुत गंभीर सोच का विषय है की चांटा मारने वालो को भगत सिंह की संज्ञा दी जा रही है और सारा युवा वर्ग उन्हें बधाई दे रहा है, परन्तु ऐसी परिस्थति उत्पन करने के जवाबदार भी हमारे नेता ही है, वे अपनी गलत नीतियों से इस देश को गर्त में डुबो रहे है, अतः इस तरह से विरोध प्रदर्शित करने वालो में हमारा युवा अपना नेता तलाश रहा है, आखिर ऐसा क्यों हुआ? एक समय था जब जनता अपने नेता को अपना आदर्श मानती थी और उनके चित्रों को घर, स्कुल/कालेज, दफ्तरों में स्थान दिया जाता था, आज हमारे देश के लोगो में पूरी एक पीढ़ी का अंतर आगया है, आज का युवा हाथ में भले ही स्मार्ट फोन रखता है परन्तु वह ईमानदार और तरक्की पसंद है. वह पुरानी पीढ़ी की तरह आराम की सरकारी नोकरी के पीछे नहीं भागता अपितु मेहनत से कार्य कर देश को आगे बढ़ाना चाहता है परन्तु जब वह देखता है की इस देश के नेता अपनी गलत नीतियों से एस देश को बर्बाद करने में लगे है तो  वो उन लोगों में अपना नेता ढूंढ़ रहा है जो ऐसे बेईमान नेताओ को सबके सामने सबक सिखाने का दम दिखाते है.

         अब भी अगर इस देश के युवाऔ के मिजाज को नहीं अमझा जाता तो आना वाला समय इससे भी गंभीर परिणाम दे सकता है. इन हिंसक घटनाओ को सभ्य समाज में समर्थन नहीं किया जा सकता परन्तु युवा वर्ग में बढे रोष को समझना आज के समय की सबसे बड़ी जरुरत  बन गई है.

       

Saturday, September 10, 2011

बिमारी पर खर्चा... इन्कमटेक्स में छुट प्राप्त करे......!


बिमारी पर खर्चा... इन्कमटेक्स में छुट प्राप्त करे......!
         
     क्या आपको पता है कि बीमारियों पर होने वाले खर्च पर इन्कमटेक्स में छुट प्राप्त कि जा सकती है ? जी हाँ साहब इन्कमटेक्स एक्ट में कुछ सेक्शन एसी भी है जो बीमारियों पर किये गए खर्चो को छुट के रूप में आपकी कुल आय में से घटाने का मोका देती है. उन कुछ  सेक्शन में से आज हम एक सेक्शन  80 DDB के बारे में जानेगे. इस सेक्शन का फायदा केवल निवासी व्यक्ति तथा HUF  ही उठा सकता है. अनिवासी भारतीय (NRI ) इस सेक्शन का लाभ नहीं उठा सकते.
           सबसे पहले ये जानते है कि किन-किन लोगो कि बीमारी पर किया खर्च छुट के रूप में उपलब्ध होगा. स्वयं पर किया गया खर्च तथा आप पर आश्रित आप कि पत्नी/पति, बेटा-बेटी, माता-पिता, तथा भाई-बहन, इन में से किसी पर भी किया गया खर्च छुट के योग्य होगा. यहाँ एक विशेष बात बताना चाहूँगा कि यदि आप ने उपरोक्त में से किसी कि बीमारी पर भी खर्चा किया है और वह यदि अनिवासी भारतीय (NRI ) है तो भी आपको इस सेक्शन के अंतर्गत छुट प्राप्त होगी. सीधे शब्दों में जो खर्चा कर रहा है वह NRI नहीं हो सकता, जिस पर खर्चा किया जा रहा है वह NRI हो सकता है. 
                        खर्चा निम्न बीमारियों पर किया जाना चाहिए नुरोलोजिकल डिसीज, पार्किन्सन डिसीज, मलिग्नंत केंसर, एड्स, क्लोरोनिकल रीनल फेलिअर, हेमोफिलिया, थेलेसिमिया. यदि बीमारी का खर्च एसे व्यक्ति पर किया गया है जिस कि उम्र  65 वर्ष से कम है तो 40,000 रु तक छुट प्राप्त कि जा सकती है. यदि  खर्च एसे व्यक्ति पर किया गया है जिस कि उम्र 65 वर्ष  से अधिक है , यानी सीनियर सिटिजन तो छुट कि राशी 60 ,000 रु तक बढ़ जाती है. यहाँ यह बात ध्यान देने योग्य है कि उपरोक्त राशी छुट कि अधिकतम सीमा है, यदि आपका वास्तविक खर्च इससे से कम है तो आप के द्वारा किया गया वास्तविक खर्च ही छुट के रूप में प्राप्त होगा. यदि आप ने उस बीमारी पर किये गए खर्च का भुगतान बिमा कंपनी अथवा अपने नियोक्ता से प्राप्त किया है तो प्राप्त कि गई राशी आप को इस सेक्शन  में मिलने वाली छुट कि राशी में से कम कर दी जाएगी.
                इस तरह कि छुट प्राप्त करने के लिए आपको ऊपर दी गई बीमारियों के विशेषघय  सरकारी डॉक्टर द्वारा निर्धारित रूप में जारी किया गया प्रमाण पत्र कि आवशयकता होगी.  सी ए प्रकाश कपूरिया +91 98251 25507 e-mail caprakash.k@gmail.com 

Thursday, September 8, 2011

अब तो जागो कुम्भकर्ण कि नींद से.....!


           जेसे ही आतंकी हमला होता है, नेताओं के बयान आने चालू हो जाते है कि "आतंकी कभी अपने मंसूबो में कामयाब नहीं हो सकते है"...मै इस बात से पूर्ण सहमत हूँ, आप को मेरी इस सहमती पर आशचर्य हो रहा होगा क्योकि हर हमले के बाद इस तरह के बयान आते है फिर भी अगली बार हमला हो जाता है, इस का मतलब तो यही हुआ कि आतंकी अपने मंसूबो मै कामयाब हो रहे है, परन्तु अब जरा इस बात पर गौर कीजिये कि हर बार बम धमाको मै आतंकी आम लोगो को निशाना बनाते है! आतंकियों को ये लगता है कि इस देश कि सरकार को आम आदमी कि चिंता होगी और जब वे आम आदमी को मरेंगे तो सरकार दबाव मै आएगी, परन्तु आतंकियों को ये पता नहीं है कि इस देश को चलने वालो को (चाहे वे स्वयम चलने मै भी सक्षम नहीं है) आम आदमी कि कोई चिंता नहीं है, इसलिए आतंकी कितने भी हमले कर ले इस देश के नेताओ पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा, वे अपना हमेशा वाला राग अलापते रहेंगे! 
        आज आम आदमी को ये समझ नहीं आ रहा है कि वो रोये, दुःख प्रकट करे, गुस्सा करे, चीखे, चिलाये, नारे लगाये या फिर कुछ ना कर के सामान्य होकर इन धमाको को अपने जीवन का एक हिस्सा मानकर रोजमर के कामो मै लग जाये!हमने बड़ी ही उम्मीद के साथ अपनी शांति, सुरक्षा और समृधि का जिम्मा सरकार को दिया और जिसके बदले हमें मिला क्या "महंगाई" जिसने हर घर मै अशांति पैदा कर दी है, "आतंकवाद" जहा हर आदमी अपने आप को असुरक्षित महसूस करता है और "भ्रष्टाचार" जिसने हमारी समृधि को डस लिया है. हमारी शांति, सुरक्षा और समृधि कि उमीदो को तार तार कर दिया! 
       हम केसे आतंकवाद से सामना करने का दावा करते है जब कि ना तो राजनयिक स्तर पर और ना ही रणनीतिक स्तर पर कोई ठोस कदम उठाये गए है. भारत का कोई ऐसा पडोसी देश नहीं जिसको वो अपना मित्र कह  सके.पाकिस्तान ने तो ऐसा  लगता है कि अपने जन्म के साथ ही भारत के खिलाफ जो जंग छेड़ी है उसको वो बदस्तूर जारी  रखेगा. उसने इस जंग मै कई पीढ़िय खपा दी है और अपनी आने वाले नस्लों को भी भारत के खिलाफ ही तैयार कर रहा है. चीन ने हमसे कभी दोस्ती नहीं कि उस का ऐसा मनना है कि दोस्ती बराबरी वालो मै होती है और वो भारत को कभी अपने बराबर नहीं मानता इसलिए 1962 के हमले के बाद आज तक वो हमारी सीमओं के साथ छेड़-छाड़ करता आ रहा है. इस के आलावा भी चीन कई कारस्तानिया भारत के खिलाफ करता रहता है जो आये दिन खबरों के माध्यम से हमें मिलती रहती है. बंगलादेश सिर्फ दिखावे का दोस्त है, सीमा पर बांगलादेशी घुसपैठ और फिर सीमापर गिराए गए हथियार किसी से छुपे नहीं है. अभी इन आतंकी हमलो मै जिस हुजी आतंकी संघठन का नाम आ रहा है वो एक बंगलादेशी आतंकी संघठन ही है. श्रीलंका ने कभी दोस्ती जेसी बात नहीं दिखयी. एक नेपाल को भारत अपना दोस्त कह सकता था परन्तु अब उस ने भी अपनी जमीन भारत के खिलाफ माओवाद फ़ैलाने के लिए उपलब्ध करादी! 
     आखिर हम अपने देश कि सुरक्षा को पुख्ता करने के लिए किस का इंतज़ार कर रहे है? अमेरिका, रूस, इंग्लेंड आदि पर अभी तक एक ही आतंकी हमला हुआ इन देशो ने अपने आप को ऐसा संभाला कि आज तक इन पर कोई दूसरा आतंकी हमला नहीं हुआ. आतंकी बड़े ही आराम से भारत पर हमला करते है क्योकि उनको पता है कि उन को कोई नहीं पकड़ सकता और यदि पकडे भी गए तो यहाँ बड़ी आवभगत होती है, अजमल कसाब और अफजल गुरु जेसे आदर्श उदाहरण उनके सामने है. कितने दुर्भाग्य कि बात है जिनलोगो ने सेकड़ो मासूम और बेगुनाहों को मारा, हम सोच सकते है वे कितने निर्दयी रहे होंगे फिर भी उनके लिए दया कि याचनाए कि जाती है और उनको फंसी पर नहीं लटकाया जाता. 
         बिना किसी दिशा के हमारे देश के हुक्मरान आतंक के खिलाफ लड़ाई का सामना करने को खड़े है जबकि हर हमले के बाद ऐसा लगता है कि आतंकी हमारी सुरक्षा एजेंसियों के मुह पर पहले से ज्यादा तेज तमाचा मार कर चले गए है. इस देश के हुक्मरानों से ये आरजू है कि "शक्तिहीन को कोई नहीं पूछता, शक्तिशाली को विश्व पूजता" अपने आप को कुम्भकर्ण कि नींद से जगाओ और देश को शक्तिशाली बना कर आतंकवाद के दानव को उखाड़ फेंके.        

Tuesday, August 16, 2011

लोकतंत्र के नाम पर थोपा गया राजतंत्र.

             शहीदेआजम भगत सिंह ने कहा था कि...."कांग्रेस पार्टी केवल सत्ता हासिल करना चाहती है उसे इस देश कि स्वतंत्रता से कोई लेना देना नहीं है. यदि कांग्रेस पार्टी के रास्ते से स्वतंत्रता प्राप्त हुई तो ये गोरे अंग्रेज तो चले जाएँगे पर इस देश पर काले अंग्रेजो राज करेंगे. आमिर और अमीरे होगा और गरीब और गरीब होता चला जायेगा." भगत सिंह के सपनो का भारत था  " जिसमें हर आदमी को सामान अधिकार मिले धर्म और मजहब के नाम पर खून खराबा ना हो जहा कोई गरीब ना हो कोई, बेरोजगार ना हो, कोई भी आदमी किसी भी कमजोर और मजदूर का हक न छीन पाए." 
        ये आज हमें सोचना है कि क्या हम भगत सिंह के सपने के लोकतंत्र में जी रहे है ? क्या इसे समानता कहते है जहा गली के नुकड़ पर शराब बेचने वाले को जेल में डाला जाता है और किंगफिशर के मालिक विजय माल्या को संसद सदस्य बनाया जाता है ? और जिसका इंतजार इस देश के राष्ट्रपति और प्रधान मंत्री अपने घर पर आने के लिए करते है ? क्या यह वही लोकतंत्र है जहा श्री अब्दुल कलाम जी जेसे मूर्धन्य लोग जिन को कि भारत रत्ना से नवाजा गया था, को हराकर एसे लोगो को राष्ट्रपति बनाया जाता है जो गांधी परिवार के वफादार है.  
                 इसे लोकतंत्र कहा जायेगा जहा शांति पूर्ण रूप से अपनी बात रखने वालो को जेल में डाला जाता है. वास्तविकता यह है कि हम लोगो ने एक हजार साल कि गुलामी झेली है, और हम आज भी गुलाम है, भारत का ये दुर्भाग्य है कि कहने को आज लोकतंत्र है पर वह राज तंत्र के सामान है जहा किसी को भी सरकार के खिलाफ बोलने का कोई अधिकार नहीं है, भारत ने वो राज तंत्र भी देखा था जब राम को वनवास हुआ और पूरी जनता आपने राजा के खिलाफ खड़ी हो गई थी, वह राज तंत्र में लोकतंत्र के एक सुनहरा उदहारण है, एक समय था जब राज दरबार में सीता और कोशल्या को स्थान दिया जाता था और आज हमारा लोकतंत्र इस देश कि आधी आबादी रखने वाली नारी को 33 % आरक्षण नहीं दिला पाया. वास्तविकता ये है कि हजार साल कि गुलामी ने हमें ये भुला दिया है कि हम क्या है. जब तक हम अपने आप को नहीं जानेगे अपने भारत और इसके इतिहास पर गर्व नहीं करेंगे तब तक समस्या जस कि तस रहने वाली है. आज एक रामदेव और एक अन्ना खड़े हुए तो ये सरकार हिल गई तो सोचो 120 करोड़ भारतीय जब चिलाएंगे तो सरकार को हमारी आवाज सुननि ही पड़ेगी.  
       
          शहीदों कि चिताओं पर लगेंगे हर बरस युही मेले, वतन पे मरने वालो का बस यही आखिरी निशा होगा. क्या हमारे शहीदों ने इस लिए क़ुरबानी दी थी कि हम 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाये और उस के ठीक अगले दिन अपने लोकतंत्र का गला घोट दे. आज हमें सोचना है कि हमें शहीदेआजम भगत सिंह के सपनो का भारत चाहिए या लोकतंत्र के नाम पर थोपा गया राजतंत्र. 

Monday, July 11, 2011

टेक्सप्लानिंग करे इनकमटेक्स सेक्शन 44 AD के साथ !

 इन्कमटेक्स एक्ट में एस्समेंट इयर 2011-12 से  सेक्शन 44AD में परिवर्तन  किया गया है.  इस सेक्शन ने कई समय तक व्यापारियों तथा आयकर विशेषघयो को भ्रमित करके रखा, लेकिन समय के साथ-साथ इसके अधिकत्तर भ्रम समाप्त होते गए. पिछले वितीय वर्ष में इनकमटेक्स  एक्ट में एक और महत्वपूर्ण परिवर्तन किया गया था जिसके तहत औडिट करवाने की सीमा को 40 लाख रु से बढाकर 60 लाख रु कर दिया गया था.  सेक्शन 44 AD को इस परिवर्तन के साथ में जोड़कर देखने पर यह सेक्शन एक दुधारी तलवार की तरह लगती है जिसका की सही प्लानिंग के साथ उपयोग नहीं किया जाये तो नुकसान भी हो सकता है. परन्तु यदि पूरी प्लानिंग के साथ उपयोग किया जाये तो यह सेक्शन टेक्स प्लानिंग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन सकती है. आइये इस सेक्शन से जुडी महत्वपूर्ण बातो को जाने.:
  यह सेक्शन केवल व्यक्ति, HUF, तथा पार्टनरशिप फर्म (LLP को छोड़ कर) को लागु होती है. यह सेक्शन पेशेवर लोगो तथा सेक्शन 44AE के अंतर्गत आने वाले व्यापार को छोड़ कर सभी तरह के व्यापारों पर लागु होती है.
            सेक्शन 44 AD के अनुसार यदि पिछले वितीय वर्ष में  आपके व्यापार का टर्नओवर या कुल रिसिप्ट 60 लाख रु या उस से कम है तो आप इस सेक्शन का चुनाव कर सकते है. यदि आप इस सेक्शन का चुनाव करते है तो, आपको अपने व्यापर के कुल टर्नओवर या कुल रिसिप्ट का 8 % शुद्ध लाभ दिखाना होगा. दुसरे शब्दों में वह 8 % की राशी आपकी अनुमानित इन्कम मान ली जाएगी, भले ही उस व्यापर से आप की वास्तविक इन्कम 8 % से अधिक ही क्यों नहीं हो. यदि करदाता चाहे तो वह 8 % से अधिक आय भी घोषित कर सकता है. यदि करदाता इस सेक्शन का चुनाव करता है तो वह एडवांस टेक्स भरने के झंझंट से निज़ात पा सकता है तथा साथ ही साथ एकाउंट्स लिखने एवं  औडिट करवाने के खर्चे से भी मुक्ति पा सकता है.
      पार्टनरशिप फर्मो के लिये ये सेक्शन एक संजीवनी बूटी के सामान है, क्योकि पार्टनरशिप फर्मो को इस सेक्शन में विशेष टेक्स प्लानिंग का लाभ प्राप्त होता है. लाभ इस प्रकार है की 8 % शुद्ध लाभ दिखने के बाद भी पार्टनर को दी जाने वाली सेलेरी तथा पूंजी पर ब्याज (सेक्शन 40 (b) के अंतर्गत आने वाली राशी) को उस शुद्ध लाभ में से घटाने का अवसर मिलेगा. 
अगर आपकी आय 8 % से कम है तथा वही आप अपने इनकमटेक्स रिटर्न में दिखाना चाहते है और आपकी कुल आय कर योग्य है, तो आपको अपने व्यापर के एकाउंट्स भी लिखने पड़ेंगे एवं उनकी औडिट भी करवानी पड़ेगी.
        मित्रो सोच समझ कर इस सेक्शन का उपयोग करे एवं अधिक से अधिक लाभ उठाये..