Saturday, September 10, 2011

बिमारी पर खर्चा... इन्कमटेक्स में छुट प्राप्त करे......!


बिमारी पर खर्चा... इन्कमटेक्स में छुट प्राप्त करे......!
         
     क्या आपको पता है कि बीमारियों पर होने वाले खर्च पर इन्कमटेक्स में छुट प्राप्त कि जा सकती है ? जी हाँ साहब इन्कमटेक्स एक्ट में कुछ सेक्शन एसी भी है जो बीमारियों पर किये गए खर्चो को छुट के रूप में आपकी कुल आय में से घटाने का मोका देती है. उन कुछ  सेक्शन में से आज हम एक सेक्शन  80 DDB के बारे में जानेगे. इस सेक्शन का फायदा केवल निवासी व्यक्ति तथा HUF  ही उठा सकता है. अनिवासी भारतीय (NRI ) इस सेक्शन का लाभ नहीं उठा सकते.
           सबसे पहले ये जानते है कि किन-किन लोगो कि बीमारी पर किया खर्च छुट के रूप में उपलब्ध होगा. स्वयं पर किया गया खर्च तथा आप पर आश्रित आप कि पत्नी/पति, बेटा-बेटी, माता-पिता, तथा भाई-बहन, इन में से किसी पर भी किया गया खर्च छुट के योग्य होगा. यहाँ एक विशेष बात बताना चाहूँगा कि यदि आप ने उपरोक्त में से किसी कि बीमारी पर भी खर्चा किया है और वह यदि अनिवासी भारतीय (NRI ) है तो भी आपको इस सेक्शन के अंतर्गत छुट प्राप्त होगी. सीधे शब्दों में जो खर्चा कर रहा है वह NRI नहीं हो सकता, जिस पर खर्चा किया जा रहा है वह NRI हो सकता है. 
                        खर्चा निम्न बीमारियों पर किया जाना चाहिए नुरोलोजिकल डिसीज, पार्किन्सन डिसीज, मलिग्नंत केंसर, एड्स, क्लोरोनिकल रीनल फेलिअर, हेमोफिलिया, थेलेसिमिया. यदि बीमारी का खर्च एसे व्यक्ति पर किया गया है जिस कि उम्र  65 वर्ष से कम है तो 40,000 रु तक छुट प्राप्त कि जा सकती है. यदि  खर्च एसे व्यक्ति पर किया गया है जिस कि उम्र 65 वर्ष  से अधिक है , यानी सीनियर सिटिजन तो छुट कि राशी 60 ,000 रु तक बढ़ जाती है. यहाँ यह बात ध्यान देने योग्य है कि उपरोक्त राशी छुट कि अधिकतम सीमा है, यदि आपका वास्तविक खर्च इससे से कम है तो आप के द्वारा किया गया वास्तविक खर्च ही छुट के रूप में प्राप्त होगा. यदि आप ने उस बीमारी पर किये गए खर्च का भुगतान बिमा कंपनी अथवा अपने नियोक्ता से प्राप्त किया है तो प्राप्त कि गई राशी आप को इस सेक्शन  में मिलने वाली छुट कि राशी में से कम कर दी जाएगी.
                इस तरह कि छुट प्राप्त करने के लिए आपको ऊपर दी गई बीमारियों के विशेषघय  सरकारी डॉक्टर द्वारा निर्धारित रूप में जारी किया गया प्रमाण पत्र कि आवशयकता होगी.  सी ए प्रकाश कपूरिया +91 98251 25507 e-mail caprakash.k@gmail.com 

Thursday, September 8, 2011

अब तो जागो कुम्भकर्ण कि नींद से.....!


           जेसे ही आतंकी हमला होता है, नेताओं के बयान आने चालू हो जाते है कि "आतंकी कभी अपने मंसूबो में कामयाब नहीं हो सकते है"...मै इस बात से पूर्ण सहमत हूँ, आप को मेरी इस सहमती पर आशचर्य हो रहा होगा क्योकि हर हमले के बाद इस तरह के बयान आते है फिर भी अगली बार हमला हो जाता है, इस का मतलब तो यही हुआ कि आतंकी अपने मंसूबो मै कामयाब हो रहे है, परन्तु अब जरा इस बात पर गौर कीजिये कि हर बार बम धमाको मै आतंकी आम लोगो को निशाना बनाते है! आतंकियों को ये लगता है कि इस देश कि सरकार को आम आदमी कि चिंता होगी और जब वे आम आदमी को मरेंगे तो सरकार दबाव मै आएगी, परन्तु आतंकियों को ये पता नहीं है कि इस देश को चलने वालो को (चाहे वे स्वयम चलने मै भी सक्षम नहीं है) आम आदमी कि कोई चिंता नहीं है, इसलिए आतंकी कितने भी हमले कर ले इस देश के नेताओ पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा, वे अपना हमेशा वाला राग अलापते रहेंगे! 
        आज आम आदमी को ये समझ नहीं आ रहा है कि वो रोये, दुःख प्रकट करे, गुस्सा करे, चीखे, चिलाये, नारे लगाये या फिर कुछ ना कर के सामान्य होकर इन धमाको को अपने जीवन का एक हिस्सा मानकर रोजमर के कामो मै लग जाये!हमने बड़ी ही उम्मीद के साथ अपनी शांति, सुरक्षा और समृधि का जिम्मा सरकार को दिया और जिसके बदले हमें मिला क्या "महंगाई" जिसने हर घर मै अशांति पैदा कर दी है, "आतंकवाद" जहा हर आदमी अपने आप को असुरक्षित महसूस करता है और "भ्रष्टाचार" जिसने हमारी समृधि को डस लिया है. हमारी शांति, सुरक्षा और समृधि कि उमीदो को तार तार कर दिया! 
       हम केसे आतंकवाद से सामना करने का दावा करते है जब कि ना तो राजनयिक स्तर पर और ना ही रणनीतिक स्तर पर कोई ठोस कदम उठाये गए है. भारत का कोई ऐसा पडोसी देश नहीं जिसको वो अपना मित्र कह  सके.पाकिस्तान ने तो ऐसा  लगता है कि अपने जन्म के साथ ही भारत के खिलाफ जो जंग छेड़ी है उसको वो बदस्तूर जारी  रखेगा. उसने इस जंग मै कई पीढ़िय खपा दी है और अपनी आने वाले नस्लों को भी भारत के खिलाफ ही तैयार कर रहा है. चीन ने हमसे कभी दोस्ती नहीं कि उस का ऐसा मनना है कि दोस्ती बराबरी वालो मै होती है और वो भारत को कभी अपने बराबर नहीं मानता इसलिए 1962 के हमले के बाद आज तक वो हमारी सीमओं के साथ छेड़-छाड़ करता आ रहा है. इस के आलावा भी चीन कई कारस्तानिया भारत के खिलाफ करता रहता है जो आये दिन खबरों के माध्यम से हमें मिलती रहती है. बंगलादेश सिर्फ दिखावे का दोस्त है, सीमा पर बांगलादेशी घुसपैठ और फिर सीमापर गिराए गए हथियार किसी से छुपे नहीं है. अभी इन आतंकी हमलो मै जिस हुजी आतंकी संघठन का नाम आ रहा है वो एक बंगलादेशी आतंकी संघठन ही है. श्रीलंका ने कभी दोस्ती जेसी बात नहीं दिखयी. एक नेपाल को भारत अपना दोस्त कह सकता था परन्तु अब उस ने भी अपनी जमीन भारत के खिलाफ माओवाद फ़ैलाने के लिए उपलब्ध करादी! 
     आखिर हम अपने देश कि सुरक्षा को पुख्ता करने के लिए किस का इंतज़ार कर रहे है? अमेरिका, रूस, इंग्लेंड आदि पर अभी तक एक ही आतंकी हमला हुआ इन देशो ने अपने आप को ऐसा संभाला कि आज तक इन पर कोई दूसरा आतंकी हमला नहीं हुआ. आतंकी बड़े ही आराम से भारत पर हमला करते है क्योकि उनको पता है कि उन को कोई नहीं पकड़ सकता और यदि पकडे भी गए तो यहाँ बड़ी आवभगत होती है, अजमल कसाब और अफजल गुरु जेसे आदर्श उदाहरण उनके सामने है. कितने दुर्भाग्य कि बात है जिनलोगो ने सेकड़ो मासूम और बेगुनाहों को मारा, हम सोच सकते है वे कितने निर्दयी रहे होंगे फिर भी उनके लिए दया कि याचनाए कि जाती है और उनको फंसी पर नहीं लटकाया जाता. 
         बिना किसी दिशा के हमारे देश के हुक्मरान आतंक के खिलाफ लड़ाई का सामना करने को खड़े है जबकि हर हमले के बाद ऐसा लगता है कि आतंकी हमारी सुरक्षा एजेंसियों के मुह पर पहले से ज्यादा तेज तमाचा मार कर चले गए है. इस देश के हुक्मरानों से ये आरजू है कि "शक्तिहीन को कोई नहीं पूछता, शक्तिशाली को विश्व पूजता" अपने आप को कुम्भकर्ण कि नींद से जगाओ और देश को शक्तिशाली बना कर आतंकवाद के दानव को उखाड़ फेंके.